Wednesday, July 7, 2010

बारिशें

थोड़े से बादल, खूब सारी बूँदें
हरे हरे पत्ते, फूलों की सुगंधें
आँखों में चमक, लबों पे मुस्कुराहटें
बाज़ारों में रौनक, गावों में पनघटें
फिर से एक बार जिंगुरों के आवाज़ें भेज दे
पतंगों की उड़ाने भेज दे
मेंढकों के टर्राने भेज दे
चिड़ियों की चहचाने भेज दे
ए खुदा, ज़ोरों से बारिशें भेज दे

बड़ी सी चिट्ठी, सिमटा सा खुमार
बिखरी स्याही में मिलने की कस्में हज़ार
चंद सुहानी यादें और इंतेज़ार में करार
बारीशों की बूँदों में तेरा प्यार
फिर से एक बार अकेला मकान भेज दे
शृंगार का सब सामान भेज दे
मीठी सी धुन तमाम भेज दे
तीर और कमान भेज दे
ए खुदा, इन बारीशों में 'उनको' भेज दे

उत्सव

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